Tag: शोध आलेख
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10. ब्रह्मतत्त्व-विमर्श- डॉ. धीरेन्द्र झा
भारत ब्रह्मदर्शन का राष्ट्र रहा है। यहाँ हम चिन्तन के उस स्तर पर पहुँचे हुए हैं, जहाँ चराचर जगत् में सभी पदार्थों में एकता का भाव ... -
9. कालिदासकृत रघुवंश की रामायण-कथा- आचार्य सीताराम चतुर्वेदी
यह हमारा सौभाग्य रहा है कि देश के अप्रतिम विद्वान् आचार्य सीताराम चतुर्वेदी हमारे यहाँ अतिथिदेव के रूप में करीब ढाई वर्ष रहे और हमारे आग्रह ... -
8. बिहार में महर्षि विश्वामित्र के स्थल – श्री रवि संगम
यदि हमें रामायण-काल के विश्वामित्र बिहार में मिलते हैं तो इसका सीधा तात्पर्य है कि ऋग्वेद के तीसरे मण्डल की परम्परा भी इसी भू-खण्ड से जुड़ी ... -
7. ऋषि-तत्त्व- श्री अरुण कुमार उपाध्याय
भारतीय परम्परा में ऋषियों का विवेचन व्यावहारिक तथा सैद्धान्तिक दोनों रूपों में हुआ है। अतः ऋषियों के अनेक प्रकार हो जाते हैं। विभिन्न दृष्टिकोण से विवेचना ... -
4. “महर्षयः सप्त पूर्वे”- डॉक्टर सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य
श्रीमद्भगवद्गीता के 10वें अध्याय में भगवान् की विभूतियों के वर्णन-क्रम में सप्तर्षियों का विवेचन आया है- महर्षयः सप्त पूर्वे इत्यादि। यहाँ व्याख्याकारों ने अनेक प्रकार से ... -
3. ऋषि : कृषि और ज्ञान-विज्ञान के प्रवर्तक- डॉ. श्रीकृष्ण “जुगनू”
सप्तर्षि हमारी ज्ञान परम्परा के व्यावहारिक पक्ष के प्रवर्तक रहे हैं। उन्होंने न केवल हमारी दिनचर्या, तथा समाजचर्या पर उपदेश किया बल्कि कृषि-विज्ञान, पर भी प्रकाश ... -
धर्मायण के श्रावण 2079 वि.सं. के प्रस्तावित केन्द्रीय विषय
‘धर्मायणʼ का अगला श्रावण मास का अंक इस बार रक्षाबन्धन-विशेषांक के रूप में प्रस्तावित है। श्रावण पूर्णिमा के दिन रक्षाबन्धन का पर्व मनाया जाता है। वर्तमान ... -
Dharmayan vol. 102 Khara-masa Ank
इस मास में भी अनेक व्रतों का विधान किया गया है। एकादशी, दशमी, अमावस्या, सप्तमी, अष्टमी आदि तिथियों में व्रतों के विधान किये गये हैं। आज ...
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक